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यह कविता पुस्तकालय शिक्षार्थियों एवं व्वासायियो के उत्साहवर्धन हेतु प्रेषित की जा रही है I

                                             वादा

      हे पुस्तकालय के शिक्षार्थियों , हे पुस्तकालय के व्यवसायियो |

      खुद से करो आज वादा, खुद से करो आज वादा |

      बढते रहेंगे तुम्हारे कदम आ जाये कितनी भी बाधा |

      हे पुस्तकालय ......................................................

      बढते रहो तुम उत्साह से, हटना नहीं तुम कभी राह से |

      मंजिल मिलेगी तुम्हे जरुर, चलते  रहो बस  विश्वास से |

      डगमगा जाये कदम अगर, पर रखना अटल इरादा  |

      हे पुस्तकालय .......................................................

      अपनी क्षमता को पहचानो तुम, कमजोर नहीं हो ये जानो तुम |

      ज्ञान की ज्योति जलाकर अन्दर, हर एक परीक्षा दे डालो तुम |

      देर से ही, चमकोगे तुम भी, अपेक्षाओ से ज्यादा |

      हे पुस्तकालय ...........................................................

      जीवन भले ही संघर्ष हो, मन में फिर भी सदा हर्ष हो |

      जीवन का उद्देश्य पूरा हो कैसे, इसपर, विचार विमर्श हो |

      उच्च विचार रखना सदा , जीवन भले हो सादा |

      हे पुस्तकालय ..............................................................

 

 

मनीष कुमार मिश्र

पुस्तकालय सहायक

बीबीएयू ,लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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Replies to This Forum

nice poem

nice..........

nice poem for lis professionals: Promise

Lucknow chalo

 Pustakalay Vigyan me Prashikshit Verojgar Bhaiyo,Bahno

08/08/2014,

Vishal - Dharna

Attachments:

really very encouraging one ....

Very nice poem, Sir 

nice poem

Well done !!! Manish

i am happy to see you here manish ...nice...

Nice. :)

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